Tabla vadya parichaya
तबला : भारतीय संगीत का प्रमुख अवनद्ध वाद्य
भारतीय संगीत परंपरा में तबला एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय तालवाद्य है। यह वाद्य यंत्र न केवल शास्त्रीय संगीत का अभिन्न अंग है, बल्कि लोकसंगीत, भक्ति संगीत, नृत्य तथा आधुनिक संगीत में भी समान रूप से प्रयोग किया जाता है। तबला की मधुरता, नाद की विविधता और तालबद्ध ध्वनियाँ श्रोता के मन को गहराई से प्रभावित करती हैं।
इतिहास और उत्पत्ति
तबला की उत्पत्ति के विषय में कई मत प्रचलित हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह वाद्य 13वीं शताब्दी में अमीर खुसरो द्वारा बनाया गया था, जबकि अन्य इसे पखावज से विकसित मानते हैं। चाहे जो भी हो, समय के साथ तबला भारतीय संगीत की आत्मा बन गया।परन्तु विभिन्न शोध ग्रंथों व प्राचीन तथ्यों के आधार पर कह सकते है कि तबला भारतीय संगीत में प्राचीन काल से ही प्रचलित था विभिन्न रूपों में ,अपने वर्तमान रूप आने में अनेकों परिवर्तनों से होकर गुजरा,18वी शताब्दी से हमे वर्तमान तबला वाद्य का प्रचलित रूप मिलता है।
संरचना
तबला दो भागों में विभाजित होता है – दायाँ और बायाँ।
दायाँ (जिसे “तबला” कहते हैं) छोटा और लकड़ी से बना होता है, जिस पर चमड़ा चढ़ा रहता है।
बायाँ (जिसे “दुग्गी” या “बाया” कहा जाता है) धातु या मिट्टी से बनी बड़ी गुम्बदाकार थाली के समान होती है।
दोनों पर विशेष प्रकार का “स्याही” नामक मिश्रण लगाया जाता है, जो इनकी ध्वनि को गहराई और विविधता प्रदान करता है।
वादन शैली
तबला बजाने के लिए विभिन्न बोल या अक्षर प्रयोग किए जाते हैं जैसे – “धा”, “तिन”, “ना”, “धे”, “क” इत्यादि। इन बोलों के संयोजन से अलग-अलग ताल जैसे तीनताल, झपताल, रूपक, दादरा, कहरवा आदि का वादन किया जाता है।
संगीत में महत्व
शास्त्रीय संगीत में तबला गायन और वादन का ताल-सहयोग करता है।
नृत्य जैसे कथक में तबला की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भक्ति संगीत, लोकगीतों और ग़ज़लों में तबला मधुरता और लयबद्धता लाता है।
आधुनिक संगीत और फिल्मों में भी तबले की ध्वनियाँ प्रयोग की जाती हैं।
तबला वादक और घराने
भारत में कई प्रसिद्ध तबला घराने हैं – दिल्ली घराना, लखनऊ घराना, अजमेर घराना, पंजाब घराना आदि। उस्ताद अल्ला रक्खा, उस्ताद जाकिर हुसैन, पंडित किशन महाराज, पंडित समता प्रसाद जैसे महान तबला वादकों ने इसे विश्वभर में लोकप्रिय बनाया।
निष्कर्ष
तबला केवल एक वाद्य नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इसकी ध्वनियाँ संगीत को जीवन देती हैं और श्रोताओं को ताल के रस में डुबो देती हैं। आज भी तबला न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में भारतीय संगीत की पहचान बना हुआ है।
VERY NICE VLOG.I am also a music teacher (phd from music) and i find it very very useful. Mad respected to the poster!
जवाब देंहटाएंoh sorry ,it's Blog not vlog !
हटाएंUstad Zakir Hussain jivan Parichay
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