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भारतीय संगीत में लय क्या है।

व्यापक अर्थ में लय नैसर्गिक है,यह सम्पूर्ण जगत में विद्यमान है। प्रकृति लय मय है प्रातः काल सूर्योदय होना फिर दोपहर फिर शाम और रात्रि ये सभी एक लय में बद्ध होती है। मनुष्य के हृदय की गति एक निश्चित लय में ही होती है ,और जब इस निश्चित लय में अनिश्चितता होती है तो वो प्रलय को दर्शाती है, मोटे तौर में संगीत में   हम कह सकते है कि समय की समान गति को लय कहते है। लय तीन प्रकार की होती है  1.विलंबित लय 2. मध्य लय 3. द्रुत लय 1 . विलंबित लय विलंबित अर्थात् धीमा,जब गायन वादन आदि कार्य धीमी गति से हो तो उसे विलंबित लय कहते हैं। 2. मध्य लय  संगीत में जब गायन वादन आदि कार्य न तो बहुत अधिक तेज और न ही बहुत अधिक धीमी गति में हो अर्थात मध्य यानि बीच की लय में हो तो उसे मध्य लय कहते हैं। 3. द्रुत लय द्रुत यानि तेज  अर्थात संगीत में जब गायन वादन आदि कार्य तेज में में हो तो उसे द्रुत लय कहते हैं। संगीत में अधिकतर कार्य मध्य लय में ही होता है । विलंबित लय का उदाहरण गायन में बड़ा ख्याल द्रुत लय का उदाहरण सितार का झाला तबला में रेला आदि है।

भारतीय संगीत की परिभाषा

संगीत रत्नाकर के अनुसार,गायन वादन तथा नृत्य के समूह को संगीत कहते है। संगीत का शाब्दिक अर्थ : ‘संगीत’ शब्द संस्कृत के “सम् + गीत” से बना है। ‘सम्’ का अर्थ है – ‘सही ढंग से, सम्यक्’। ‘गीत’ का अर्थ है – ‘गाना’। अर्थात् – जो गाना, बजाना और नृत्य करना सम्यक् रूप से संयोजन में हो, वही संगीत कहलाता है।